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भारतीय पारिवारिक संस्था के गुण व दोष

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          भारतीय पारिवारिक संस्था को सबसे आदर्शवादी संस्थाओं में से एक माना जाता है। सयुंक्त परिवार प्रणाली, पितृसत्तात्मक व्यवस्था, बड़ो के प्रति आदर करना, महिलाओं को देवी मानना लेकिन फिर भी उनको दोयम दर्जा देना, बूढों की सेवा, सात जन्मों का वैवाहिक साथ जैसे कारक भारतीय पारिवारिक संस्था में पाए जाते है।              पहले मैं बताता हूँ कि इस संस्था के लाभ कौन-कौन से हैं। प्रथम तो यही की हमारे खुद आत्मनिर्भर होने तक हमारा लालन -पालन, पढ़ाई, व रोजमर्रा के अनेक ख़र्चे माता- पिता अपना दायित्व समझकर उठाते हैं। अपने बच्चों की शादी अपने हिसाब से करना भारतीय परिजन अपना फर्ज समझते है। अरेन्ज मैरिज जैसी व्यवस्था का पैदा होना इसी फर्ज का परिणाम है। हालांकि यह व्यवस्था भारतीय पारिवारिक संस्था का गुण नही बल्कि दोष है लेकिन मेरे जैसे लोगो के  लिए फायदेमंद साबित होती है जिनके लिए लड़की को पटाने का काम टेढ़ी खीर के समान है। इसके अलावा हमारा परिवार उस समय हमारा साथ देता है जब कोई हमारे साथ नही होता। प्रत्येक मुसीबत में परिवार हमारे साथ खड़ा...