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Showing posts from March, 2021

हिंदी के रखवाले ही इसके विनाशक

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हिंदी की जो वर्तमान हालत है उसके बंटाधार खुद उसके लेखक (खुद को हिंदी के रखवाले कहने वाले) ही हैं। और फिर बोलते हैं कि “आजकल कोई हिंदी को नही पढ़ता है, इस वजह से हमारी किताबें  नही बिकती हैं, वरना हम तो बहुत अच्छा लिखते हैं।” उनका यह अच्छा लेखन ही उनकी इस हालत का जिम्मेदार है। ये लोग कुछ ज्यादा ही अच्छा लिख देते हैं। इतना कि पढ़ने वाले को ही समझ न आए कि वो पढ़ क्या रहा है। उसे लगता है कि वह शायद हिंदी नही किसी अन्य भाषा को पढ़ रहा है। अरे भाई! लिखने का उद्देश्य ही यह होता है न कि सामने वाले को तुम्हारा लिखा समझ आये! अगर उसको समझ ही नही आ रहा है तो तुम्हारे लिखने का क्या फायदा हुआ।  एक महाशय ने कविताएं लिखना शुरू किया। उसमें ऐसे-ऐसे भारी-भरकम शब्द कि बंदा पढ़ते ही बेहोश हो जाए। मुझे वैसे भी कोई कविता जल्दी समझ नही आती है अब उस नए-नए बने कवि को समझने के लिए मुझे तो कई जन्म लेने पड़ेंगें। हम तो यही विनती कर सकते हैं कि भाई थोड़ा सरल लिख लो ताकि मुझ जैसे मंदबुद्धि को भी कुछ समझ आ जाए।  अग़र कोई सरल हिंदी में लिख दे तो बोलेंगें कि इस लेखक को हिंदी साहित्य के बारे में क्या पता, नए-नए लौ...

असनातनी सम्प्रदाय

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600ई.पूर्व में पुरोहितवाद और ब्राहणों द्वारा स्थापित चतुःवर्णीय व्यवस्था के खिलाफ घोर प्रतिक्रिया हुई और उतरी भारत में कई असनातनी सम्प्रदाय उठ खड़े हुए।   1.मक्खलिपुत्त गोशाल  2.पुरन काश्यप  3.अजित केशकम्बलिन  4.पाकुध कच्चायन  5.संजय वेल्लठपुत्त  मक्खलि गोशाल :- गोशाल महावीर के मित्र और शिष्य थे।इन्होंने आजीवक सम्प्रदाय की स्थापना की थी।इनकी शिक्षा का मूल आधार अक्रियावाद या नियतिवाद था। इनका पुनर्जन्म में विश्वास था। ये भाग्यवादी भी थे। गोशाल का मत था कि संसार की प्रत्येक वस्तु भाग्य द्वारा पूर्व नियंत्रित और संचालित होती है। मनुष्य के जीवन पर उनके कर्मों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। पूरन कश्यप :- पुरन काश्यप अक्रियावादी थे। ये बुद्ध के समकालीन थे।इन्होंने नश्वरतावादी सिद्धांत का खण्डन किया। सांख्य दर्शन के विकास में इनके मत का काफी योगदान रहा। इनका विचार था कि चोरी, डकैती, हत्या, झूठ आदि पाप नहीं है और दान, जप, तप, सत्य से किसी प्रकार का पुण्य नहीं होता अर्थात् कर्मों का कोई फल नहीं होता। अजीत केशकम्बलिन :- अजीत केशकम्बलिन पूर्णतः भौतिकवादी और उच्छेदव...