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Showing posts from December, 2017

एक अनसुलझी पहेली

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                  16000 गोपियों के साथ रासलीला करने का लक्ष्य रखने वाला व स्वयं को भगवान कृष्ण का अवतार बताने वाला कथित बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित का नाम, जो आश्रम में पड़े छापे के बाद वर्तमान में काफी चर्चित नाम बन चुका है, उस सूची में दर्ज हो गया जो जनता के धार्मिक विश्वास के साथ खिलवाड़ करने वाले बाबाओं के नाम से भरने की कगार पर है।                   लेकिन सोचने योग्य यह विषय है कि आसाराम बापू, निर्मल बाबा, रामपाल, राम रहीम जैसे अनेक पाखंडियों के नाम प्रत्येक वर्ष उजागर होते ही रहते है लेकिन इनके प्रति जनता के विश्वास में शायद ही कोई कमी आती है। इस सत्य की परख करने के लिए आपको सुबह टीवी ऑन करना पड़ेगा, जहाँ आस्था से संबंधित चैनलो पर भगवान का गुणगान करते लाखों की संख्या में भक्तों के दर्शन हो जाएंगे। आश्चर्य इस बात से होता है कि भारत में प्रत्येक परिवार किसी न किसी भगवान को अवश्य ही मानता है और शायद कोई भी भगवान गलत काम करने की प्रेरणा नही देता, तो फ़िर अपराध बढ़ क्यों रहे है। क्योंकि सामान्यतः...

सादगीपूर्ण शादी का संदेश

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        हाल ही में बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के बेटे उत्कर्ष की शादी कुछ विशिष्ट कारणों से ध्यान आकर्षित करती दिखती है।   बिना भोज और बैण्ड-बाजे से हुई इस शादी में जहाँ देहदान-अंगदान व दहेज़ रहित शादी के संकल्प के लिए अलग अलग काउंटर लगाये गए तो वहीं मेहमानों के लिए कार्ड छपवाने की बजाय ई-निमंत्रण कार्ड भेजे गए। प्रसाद स्वरूप 4-4 लड्डू मेहमानों को दिए गए और मेहमानों को शादी के लिए गिफ्ट लाने की मनाही थी। इसके अतिरिक्त 'स्वच्छ भारत' व 'खाली बोतलें डस्टबिन में डालें' जैसे संदेश लड्डू के थैले पर लिखकर दिए गए। इसके अलावा दिन में विवाह समारोह आयोजित किया गया ताकि सजावट के साथ ही और भी कई तरह के खर्चों से बचा जा सके।           जहाँ एक तरफ लोग शादी को सामाजिक प्रतिष्ठा से जोड़कर देखते हैं और कर्ज लेकर भी शादी के ख़र्चे व दहेज़ की मांग को पूरा करते है, तो दूसरी तरफ यह शादी सादगी की मिसाल कायम करती दिखती है और सामाजिक चिंताओ से भी रूबरू कराती है जिनसे यह समाज जूझ रहा है। पर्यावरण प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, ध्वनि प्रदूषण, खाद्य सामग...