सादगीपूर्ण शादी का संदेश

        हाल ही में बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के बेटे उत्कर्ष की शादी कुछ विशिष्ट कारणों से ध्यान आकर्षित करती दिखती है।

  बिना भोज और बैण्ड-बाजे से हुई इस शादी में जहाँ देहदान-अंगदान व दहेज़ रहित शादी के संकल्प के लिए अलग अलग काउंटर लगाये गए तो वहीं मेहमानों के लिए कार्ड छपवाने की बजाय ई-निमंत्रण कार्ड भेजे गए। प्रसाद स्वरूप 4-4 लड्डू मेहमानों को दिए गए और मेहमानों को शादी के लिए गिफ्ट लाने की मनाही थी। इसके अतिरिक्त 'स्वच्छ भारत' व 'खाली बोतलें डस्टबिन में डालें' जैसे संदेश लड्डू के थैले पर लिखकर दिए गए। इसके अलावा दिन में विवाह समारोह आयोजित किया गया ताकि सजावट के साथ ही और भी कई तरह के खर्चों से बचा जा सके।
          जहाँ एक तरफ लोग शादी को सामाजिक प्रतिष्ठा से जोड़कर देखते हैं और कर्ज लेकर भी शादी के ख़र्चे व दहेज़ की मांग को पूरा करते है, तो दूसरी तरफ यह शादी सादगी की मिसाल कायम करती दिखती है और सामाजिक चिंताओ से भी रूबरू कराती है जिनसे यह समाज जूझ रहा है। पर्यावरण प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, ध्वनि प्रदूषण, खाद्य सामग्री की बर्बादी, दहेज प्रथा, अंगदान के प्रति लोगों की अरूचि जैसी  समस्याओं का यह शादी हल ढूँढती नजर आती है।

  अक्सर यह कहा जाता है कि मंत्री व विधायक समाज सुधार की बातें तो बड़ी बड़ी करते है लेकिन खुद उन सुधारों को अपनाने के लिए तैयार नही है। अगर यह शादी सामान्य लोगों व उच्च पदाधिकारियों को प्रेरित कर पाई तो शायद उपरोक्त कथन भविष्य में अपना महत्व खोता नजर आये।

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