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Showing posts from June, 2018

मैंने नास्तिकता की चादर क्यों ओढ़ ली?

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आज से तीन साल पहले शायद ही मेरे गाँव में मुझसे बड़ा कोई आस्तिक रहा होगा। उस समय मेरी नजरों में वह हर व्यक्ति पाप का हकदार था जो भी ईश्वर के अस्तित्व को नकारता था। मेरी पारिवारिक पृष्ठभूमि ग्रामीण क्षेत्र से जुड़ी हुई है और मेरे परिजन अशिक्षित है जो धर्म के प्रति उनके अंदर पैदा हुए आकर्षण को बढाने के लिए एक जिम्मेदार कारक कहा जा सकता है और जिसका प्रभाव बाद में मुझ पर भी पड़ा। पहले मेरे पिता भी एक नास्तिक ही थे लेकिन धीरे-धीरे उनकी जिंदगी में आयी समस्याओं ने उनको धर्म के प्रति इतना आकर्षित कर दिया कि आज वे भगवान कृष्ण के भक्त हैं और लोगों की समस्याओं को सुलझाने में व्यस्त रहते हैं। आज हमारे घर में ही एक बड़ा सा मंदिर है, जिसमें प्रतिदिन सुबह-शाम पूजा करने के लिए लगभग 1 घण्टा सुबह व 1 घण्टा शाम को लगता है। इसी मंदिर में, मैंने तीन साल पहले तक भगवान की आराधना की है। कहने का सार यह है कि अब भी मेरे घर में मुझे छोड़कर सब ईश्वर के प्रति गहन श्रद्धा रखते हैं।              तीन साल पहले मैं आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली आया जोकि अभी तक जारी ही है। जब मैं दिल्ली आया...

गणित का महत्व

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          विश्व प्रसिद्ध दार्शनिक प्लेटो ने अपनी अकादमी के दरवाजे पर लिखा हुआ था कि " गणित के ज्ञान से शून्य व्यक्ति इसमें प्रवेश न करें"।  अब आप सोच रहे होंगे कि एक दार्शनिक अपने विद्यार्थियों से गणित के ज्ञान की अपेक्षा क्यों कर रहा था। इसके दो कारण हो सकते है; पहला यह कि उस समय गणित, खगोलशास्त्र, व दर्शन अलग-अलग विषय न होकर एक ही विषय थे और दूसरा यह कि गणित ही एक ऐसा विषय है जो मस्तिष्क की कसरत करता है।           अगर आपको मस्तिष्क की तर्कशक्ति व  स्मरणशक्ति को बढ़ाना है तो गणित इसमें सहायक हो सकता है। इतिहास ऐसे महान लोगों से भरा हुआ है जो अपने किसी विषय क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल किए हुए थे लेकिन गणित में भी रुचि रखते थे। जैसे- नेपोलियन एक महान सेनापति था लेकिन वह भोजन के बाद प्रतिदिन विद्वानों के साथ बैठकर गणित पर चर्चा किया करता था। आर्किमिडीज की मृत्यु तो गणित प्रेम के कारण ही हुई थी,क्योंकि उनकी किसी बात से नाराज होने कारण रोम के राजा ने अपने सिपाहियों को आर्किमिडीज को बुलाने भेजा लेकिन उस समय आर्किमिडीज कोई गण...

मेरी राजनीतिक विचारधारा तटस्थ क्यों?

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प्रायः प्रत्येक व्यक्ति अपनी एक राजनीतिक विचारधारा रखता है और उसी के अनुसार राजनीतिक दशाओं की व्याख्या करता है। प्रायः यह समझा भी जाता है कि लोकतंत्र में प्रत्येक व्यक्ति को राजनीतिक रूप से जागरूक रहना चाहिए क्योंकि लोकतंत्र में सत्ता लोगों के बीच से ही निकालकर आती है। अतः अगर लोग राजनीतिक रूप से जागरूक नही रहेंगे तो सत्ता का गलत हाथों में जाने का भी डर रहता है जोकि समाज व देश के लिए सही नही है।  लेकिन होता क्या है हम राजनीतिक रूप से जागरूक तो हो जाते है लेकिन इस जागरूकता का आधार ग़लत बना लेते हैं।क्योंकि प्रायः देखा गया है कि लोगों की राजनीतिक दृष्टि निष्पक्ष न होकर किसी एक पार्टी के पक्ष में झुकी हुई होती है। मानकर चलिए कि मैं किसी 'A' नामक पार्टी को सपोर्ट करता हूं तो यह पार्टी जो भी नीति अपनाएगी चाहे वह गलत हो या सही मैं इसके हमेशा समर्थन में रहूंगा और अन्य पार्टियों की नीतियों का विरोध करूंगा। यही आधार प्रत्येक व्यक्ति अपनाए हुए है। उनके सोशल अकाउंट्स  उनकी राजनीतिक विचारधारा का बखूबी बखान कर रहे हैं।   मेरा राजनीतिक दृष्टिकोण कुछ लोगों को अखरता है क्योंकि ...