राजनीति मे मध्य वर्ग की आवश्यकता
"मैं भारत के आदर्शवादी पेशेवर लोगों से कहना चाहता हूं कि अगर आपको देश की फिक्र है तो राजनीति में आइये।" शशि थरूर का यह कथन भारत के मध्य वर्ग,जो अपनी रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने में ही व्यस्त है और जो यह मानता है कि राजनीति उनके लिए है जो किसी काम के नही हैं, के लिए एक आह्वान है।
भारतीय जनता भी जाति एवं धर्म की राजनीति नही चाहती। वह एक अच्छी और स्थायी सरकार चाहती हैं जो देश के विकास पर ध्यान दे। अगर ऐसा नही होता तो दिल्ली में शायद ही अरविंद केजरीवाल की सरकार बन पाती।
भारतीय राजनीति में मध्य वर्ग की नाममात्र की ही भागीदारी है जबकि विकसित देशों में मध्य वर्ग का बोलबाला हैं। अमेरिका के पिछले 16 राष्ट्रपति उम्मीदवारों में से 12 हॉवर्ड या येल से ग्रेजुएट थे। लेकिन भारत का शिक्षित वर्ग किसी प्रतिष्ठित जॉब की तलाश में रहता हैं और भारतीय राजनीति के लिए शिक्षा को महत्वपूर्ण नही मानता हैं। इसलिए भारतीय राजनीति में अपराधियों का बोलबाला है।
लेकिन अब धीरे-धीरे भारतीय शिक्षित युवा पीढ़ी इस दिशा में जागरूक हो रही है। मेरा एक मित्र सिविल सेवा की तैयारी छोड़ राजनीति में आकर सामाजिक समस्याओं का निराकरण लोगो में जागरूकता लाकर और कानून के माध्यम से करना चाहता है। अगर वह अपने प्रयास में सफल होता है तो यह एक अनूठी पहल होगी क्योंकि अब तक की राजनीति में शायद ही सामाजिक समस्याओं पर ध्यान दिया गया है।
अन्ततः मेरा यही मानना है कि भारतीय राजनीति तब तक प्रगति नही कर सकती जब तक उसमें मध्य वर्ग अपनी उपस्थिति दर्ज नही कराता।
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