रोहिंग्या मुसलमानों की समस्या

   
       रोहिंग्या मुसलमानों पर ढाए जा रहे ज़ुल्म उन मानवाधिकारवादियों से प्रश्न है जो मानवाधिकारों के पक्ष में अपने तर्कों की झड़ी लगाते है और उन्ही में से एक है आंग सान सू ची जो दुनिया भर में मानवाधिकारों की चैंपियन के रूप में जानी जाती हैं। आज दुनिया के सबसे ज्यादा अनदेखी के शिकार और पीड़ित समुदाय रोहिंग्या उन्हीं कर देश म्यांमार में बसते हैं।
             रोहिंग्या मुसलमानों को म्यामांर में किसी तरह के अधिकार प्राप्त नही हैं और अब म्यामांर सरकार  उनको रखने के लिये भी तैयार नही हैं।जिस कारण रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश, भारत व म्यांमार के अन्य पड़ोसी देशों में शरण लेने को विवश हैं। लेकिन भारत और बांग्लादेश भी उन्हें वापिस म्यामांर भेजने की बात कर रहे हैं ।इसी विषय पर दिल्ली उच्चतम न्यायालय भी सुनवाई कर रहा है।

          इस समस्या का समाधान सबको मिल-जुलकर ही निकलना पड़ेगा। रोहिंग्या इसलिए विद्रोह पर उतारू हैं क्योंकि उनको कोई अधिकार प्राप्त नही हैं। म्यामांर सरकार उनको अधिकार दे उनका सदुपयोग देश के विकास में कर सकती है।भारत, बांग्लादेश सहित विश्व के अन्य देश म्यांमार पर  नैतिक दवाब डालकर उसको ऐसा करने के लिए मना सकते है।साथ ही म्यांमार के पड़ोसी देशों को भी रोहिंग्या मुसलमानों के लिए अस्थायी शरण देने के लिए तैयार रहना होगा और इस समस्या के स्थायी समाधान निकालने का प्रयत्न करना होगा।

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