सुर्खियों में क्यों रहते हैं बेतुके बयान?
शायद पिछले कुछ सालों से बेहूदा बयान देने का प्रचलन बढ़ता हुआ दिखायी दे रहा है। ऐसे बयान देने वालों में नेता व धर्मगुरु सबसे आगे हैं। आए दिन कोई न कोई बेहूदा बयान देता ही रहता है। अग़र ऐसे Insane Statements की लिस्ट बनायी जाएं तो शायद फ़िर भी मैं सबको बयाँ नही कर पाऊँ।
अहमदाबाद में, 18 फरवरी (भाषा) गुजरात के एक धार्मिक नेता ने कहा है कि मासिक धर्म के समय पतियों के लिए भोजन पकाने वाली महिलाएं अगले जीवन में ‘कुतिया’ के रूप में जन्म लेंगी, जबकि उनके हाथ का बना भोजन खाने वाले पुरुष बैल के रूप में पैदा होंगे। स्वामीनारायण मंदिर से जुड़े स्वामी कृष्णस्वरूप दासजी ने कथित तौर पर यह टिप्पणी की है। यह स्वामीनारायण मंदिर भुज स्थित श्री सहजानंद गर्ल्स इंस्टिट्यूट (एसएसजीआई) नाम के उस कॉलेज को चलाता है जिसकी प्रधानाचार्य और अन्य महिला स्टाफ ने यह देखने के लिए 60 से अधिक लड़कियों को कथित तौर पर अंत:वस्त्र उतारने को विवश किया कि कहीं उन्हें माहवारी तो नहीं हो रही। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि लड़कियों ने कथित तौर पर हॉस्टल का वह नियम तोड़ा था जिसमें मासिक धर्म के समय लड़कियों के अन्य लोगों के साथ खाना खाने की मनाही है।
मुझे तो लगता है कि स्वामी जी की बात सत्य है क्योंकि नही तो आप ही बताओ कि अगर ऐसा नही है तो स्वामी जी मे बैल की बुद्धि कैसे आई। हालांकि उनका शरीर मनुष्य का है क्योंकि जब पिछले जन्म में उन्होंने जिस औरत के हाथ का खाना खाया होगा, उस औरत का माहवारी का शायद आखिरी दिन होगा। इसलिए प्रभाव थोड़ा कम पड़ा है। वरना यक़ीन मानिये कि सम्पूर्ण बैल का जन्म होता इनका। लेकिन अच्छा हुआ जो स्वामी जी को इस बात का पता चल गया। इसलिए वे अपना अगला जन्म सुधारने की कोशिश कर रहे हैं। वैसे स्वामी जी के बयान से सबसे ज्यादा लाभ एक व्यक्ति को हुआ है और वह व्यक्ति हूं मैं। क्योंकि भाईजी मेरी हमेशा से इच्छा थी कि काश मेरा जन्म बैल के रूप में हुआ होता। इसके पीछे मेरे personal reasons हैं, जो मैं आपको नही बताने वाला। बड़ी सुखद बात है कि स्वामी जी ने मुझे बैल बनने का रास्ता बता दिया है। अबकी बार मनुष्य हूं तो क्या हुआ, अगले जन्म में बैल का बनना निश्चित है।
ऐसा ही कुछ अजीबोगरीब बयान अखिल भारतीय हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि महाराज ने कोरोना वायरस को लेकर दिया है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस कोई बीमारी नहीं है,बल्कि एक अवतार है जो मांसाहारियों को सजा देने के लिए आया है। दरअसल, चीन से शुरू हुई इस बीमारी का इलाज ढूंढने में डॉक्टर, साइटिस्ट आदि लोग लगे हुए हैं। लेकिन यह सब समय व धन की बर्बादी के सिवा कुछ नही है क्योंकि कोरोना वायरस का इलाज तो महाराज जी के पास पहले से ही मौजूद है। उनके अनुसार इस जानलेवा कोरोना वायरस से बचने के लिए गौमूत्र और गोबर का इस्तेमाल किया जा सकता है। आगे उन्होंने कहा कि गोमूत्र और गोबर का सेवन करने से इस वायरस का प्रभाव खत्म हो जाएगा। यही नहीं अगर कोई शख्स ओम नम: शिवाय बोलते हुए अपने शरीर पर गोबर का लेप लगाता है, तो कोरोना वायरस से उसकी जान बच सकती है। बताओ जी! इतना सस्ता और बढ़िया इलाज की अनदेखी कर रहा है चीन। सरकार को इनकी बात सुननी चाहिए और गौमूत्र और गाय का गोबर लेकर इनको चीन के वुहान शहर भेज देना चाहिए। फिर आपको पता चलेगा कि महाराज जी की बातों में कितनी सच्चाई थी।
अब बात करते है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत की। उनका कहना है कि आजकल शिक्षित और संपन्न परिवारों में तलाक के मामले ज्यादा हो रहे हैं। क्योंकि शिक्षा और संपन्नता से अहंकार आता है जिसका नतीजा परिवारों का टूटना है। इसलिए भैया जी शिक्षित व सम्पन्न होना छोड़िये क्योंकि उससे तो तलाक के मामले बढ़ेंगे। भागवत जी के इस बयान पर आशीष मिश्रा जो The Lallantop के पत्रकार है की “पढ़े-लिखे परिवारों में तलाक ज़्यादा होते हैं, बाकियों में बहू की साड़ी आग जल्दी पकड़ती है।” टिप्पणी बिल्कुल सटीक बैठती है। पढ़- लिखकर कुछ नहीं होने वाला। हिन्दू- मुस्लिम, पाकिस्तान- हिंदुस्तान, व देशभक्त- देशद्रोही जैसे मुद्दों पर ध्यान दीजिए क्योंकि ये मुद्दें ही देश के लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं। दिल्ली का चुनाव BJP ने इन्हीं मुद्दों को मद्देनजर रखते हुए लड़ा था। हालॉकि BJP चुनाव हार गयी क्योंकि दिल्ली की जनता मुफ्तखोर है जो केजरीवाल के फ्री में स्वास्थ्य, शिक्षा, पानी, बिजली व परिवहन सुविधा को देने के वायदों में आ गयी। और देशहित के मुद्दों को नकार दिया। लेकिन BJP को बेशक 8 सीटें मिली हो लेकिन फिर भी उसकी राजनीतिक विचारधारा जीत गयी है क्योंकि केजरीवाल को BJP की रामभक्ति की काट के लिए हनुमानभक्ति को लाना पड़ा है।
अब बात करते हैं कि ये लोग ऐसे बेतुके बयान क्यों देते हैं? इसका आसान सा जवाब यह है कि हम सुनते है, इसलिए वे बोलते हैं। क्योंकि इन लोगों के पास श्रोताओं की कमी नही है। भारत की बहुसंख्यक जनसंख्या दिमाग से पैदल है और तर्कशक्ति से अभावग्रसित है। इसमें ऐसे लोग भी शामिल है जो शिक्षित हैं और अच्छी जॉब कर रहे है। मेरी नज़र में एक व्यक्ति तब तक शिक्षित नहीं माना जा सकता जब तक उसने मानविकी विषयों (इतिहास, साहित्य, दर्शन, समाजशास्त्र, राजनीतिशास्त्र) का अध्ययन नहीं किया हो। एक Engineer, Doctor, CA या अन्य technical डिग्रीधारक शिक्षित नहीं माना जा सकता। क्योंकि इनके पास सिर्फ अपने एक क्षेत्र का हुनर है, ठीक वैसे ही जैसे एक बढ़ई बढ़ईगिरी जानता है या लुहार लोहे का काम जानता है। मैं यह नही कह रहा हूं कि इन लोगो का काम महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि बहुत महत्वहपूर्ण है। ये अपने क्षेत्र में अच्छा हुनर रखते हैं लेकिन इनकी सोच सामाजिक मुद्दों पर एक अनपढ़ व्यक्ति के समान मिलेगी। इसलिए आप किसी भी क्षेत्र की पढ़ाई करें लेकिन मानविकी विषयों की एक बेसिक जानकारी अवश्य रखें। एक ऐसी संसद पाने के लिए जो विकास के लिए समर्पित हो, अच्छे नेताओं को चुनकर भेजना हमारी जिम्मेदारी है। ऐसे नेता को वोट करें जो सामाजिक मुद्दों की समझ रखता हो और विकास को प्रमुखता देता हो। धर्मगुरूओं के पास जाना छोड़िये। उनके पास ऐसा कुछ नही है आपको बताने के लिए जो आपको पहले से न मालूम हो। धर्म से ऊपर तर्क को तवज्जों दीजिए। अग़र आपने ऐसा चमत्कार कर दिखाया जोकि मुझे नही लगता कि ऐसा चमत्कार आप करके दिखाओगे, आप खुद देखोगे की ऐसे बेतुके बयान आपके सामने आना बंद हो गए हैं।
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