ताली
जहां सड़क के बेघर कुत्तों की जनसंख्या की भी गणना की जाती थी, वहां थर्ड जेंडर की कोई गिनती नहीं थी. न ही उन्हें कोई संवैधानिक अधिकार (Constitutional Rights) हासिल था. किसी भी सरकारी योजना का उन्हें लाभ नही मिलता था. आधार कार्ड, वोटर कार्ड, पेन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस जैसे डॉक्यूमेंट्स वे नही बनवा सकते थे. शादी नही कर सकते थे, बच्चे गोद नही ले सकते थे. मकान, दुकान, जमीन, और किसी भी तरह की जायदाद नही खरीद सकते थे. निचोड़ यह था कि कानूनी रूप से उनका अस्तित्व ही नहीं था. यह सब बदला 2014 में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने जिसकी याचिका गौरी सावंत ने डाली थी.
सुष्मिता सेन की 'ताली' की कहानी श्रीगौरी सावंत की जिंदगी पर आधारित है। श्रीगौरी एक ट्रांसजेंडर हैं, जो अपने समुदाय के हितों के लिए लड़ाई लड़ती है। एक ऐसी सामाजिक कार्यकर्ता, जिसने सड़क से लेकर कोर्ट-कचहरी तक लड़ाई लड़ी, ताकि किन्नरों को उनका हक मिले। तीसरे लिंग यानी थर्ड जेंडर के तौर पर देश में मान्यता मिले।
सुष्मिता सेन की 'ताली' की कहानी श्रीगौरी सावंत की जिंदगी पर आधारित है। श्रीगौरी एक ट्रांसजेंडर हैं, जो अपने समुदाय के हितों के लिए लड़ाई लड़ती है। एक ऐसी सामाजिक कार्यकर्ता, जिसने सड़क से लेकर कोर्ट-कचहरी तक लड़ाई लड़ी, ताकि किन्नरों को उनका हक मिले। तीसरे लिंग यानी थर्ड जेंडर के तौर पर देश में मान्यता मिले।
'आर्या' जैसी वेब सीरीज से ओटीटी के दर्शकों का दिल जीतने वाली सुष्मिता सेन ने श्रीगौरी सावंत के किरदार में पूरी ईमानदारी से अपनी आत्मा डाल दी है। गौरी के किशोरवय की भूमिका निभाने वाली कृतिका देव (Krutika Deo) का परफॉरमेंस संवेदनशील और सुंदर है. वास्तव में वह वयस्क गौरी के रूप में सुष्मिता के किरदार से दर्शक को कनेक्ट करने की नींव बहुत मजबूती से रखती हैं. कृतिका का अभिनय यहां देखने योग्य है.
ऐसी सीरीज शायद ही कभी बनती हैं। इसलिए मौका मिलते ही देख लीजिए। बहुत ही भावुक करने वाली सीरीज है।
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