उधम सिंह


Tell people I was a revolutionary. - Udham Singh

अभी तक सिर्फ इतना ही जानता था कि सरदार उधम सिंह ने माइकल ओ ड्वेयर नाम के अंग्रेज अफसर को पॉइंट ब्लैंक रेंज से गोली मारकर जालियांवाला बाग हत्याकांड का बदला लिया था। लेकिन इस घटना के पीछे की अनसुनी कहानी को ‛सरदार उधम’ मूवी सामने लाकर रखती है।

आश्चर्य होता है यह सोचकर कि ऐसे भी लोग थे जिन्होंने देश की आजादी के लिए इतना कुछ सहा और अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया। उन्हें नही पता था कि वे अपने उद्देश्य में कामयाब होंगे या नही लेकिन यह जानते हुए भी उन्होंने अपनी लड़ाई लड़ी। सरदार उधम सिंह अपने कॉज़ को लेकर इतने कमिटेड थे कि उन्होंने माइकल ओ ड्वेयर को मारने के लिए 21 साल तक इंतज़ार किया और इस फ़िल्म के डायरेक्टर ने अपनी इस फ़िल्म को बनाने के लिए 20 साल तक इंतजार किया। और हम हैं कि 2-4 साल मे लक्ष्य की प्राप्ति ना हो तो अपना आत्मविश्वास ही खो बैठते हैं।

‘सरदार उधम’ एक ऐसी बायोग्राफिकल फिल्म है, जो इस जॉनर को अपनी समकालीन फिल्मों से बहुत आगे लेकर चली जाती है. इस फिल्म में जो कुछ भी घट रहा है, वो इतने रॉ और ऑरगैनिक तरीके से हो रहा है कि उसकी ऑथेंटिसिटी पर शक होने लगता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हमें बायोपिक्स के नाम पर मसालेदार सिनेमा देखने की आदत हो गई है. डायलॉगबाज़ी न हो, तो देशभक्ति वाली फील नहीं आती. रियल हीरो के वेश में रील हीरो, जब तक कुछ गुंडों को पीट न दे, कलेजे को ठंडक नहीं मिलती.

‘सरदार उधम’ पौने 3 घंटे लंबी फिल्म है. इसे देखने के दौरान आपके पेशेंस की परीक्षा होती है. मगर अपने आखिरी हिस्से में ये फिल्म सारा हिसाब चुकता कर देती है. एक बार यह मूवी जरूर देखिए.

#Lallantop

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