ताड़ते हुए लोग
मैं - क्या हुआ?
वह- देखा उस लड़की को? हस-हँसकर फोन पर बात करती हुई जा रही है?
मैं - तो हंसना मना है क्या लड़कियों के लिए? या फोन पर बात करना मना है?
वह - घरवालों ने पढ़ने के लिए भेजा है या फोन पर बात करने के लिए! बहुत चालू लड़की है ये, मैं बता रहा हूँ तुम्हें।
लड़की को पता भी नही कि उस ड्राइवर ने उसको गाली दी है वो भी बिना वजह के। ऐसे ही एक बार मैं Hair Salon में बैठा हुआ था, तो Salon वाला बोला कि सामने वाली मोबाइल रिपेयरिंग की दुकान में एक लड़की 2 घण्टे से घुसी हुई है। यह लड़का आज इसको सेट कर ही लेगा। बहुत चालू लड़की है ये। मैंने बोला कि हो सकता है कि वो सिर्फ अपना मोबाइल ठीक कराने आयी हो!
एक और घटना बताता हूं एक व्यक्ति जिम आता है लेकिन उसको जिम में लड़कियों का आना पसन्द नही है। इसलिये जिस समय वे लड़कियां जिम में आती हैं उस समय से पहले ही वो जिम से निकल जाता है। उसका कहना है कि लड़कियों को देखकर उसका दिमाग खराब हो जाता है।
इन तीनों व्यक्तियों में एक कॉमन बात ये है कि ये तीनों शादी-शुदा हैं, तीनों के बच्चें बड़े-बड़े हैं और उम्र है 45 के करीब। इन तीनों की बातों को सुनकर यह समझ नही आया कि इनके मन मे लड़कियों के प्रति इतनी कुंठा क्यों भरी है? सेक्स तो इनको मिल ही रहा होगा समय पर। अग़र यही कुंठा किसी नवयुवक के मन मे होती तो कुछ समझ भी आता। फिर यह मान लेते कि ये नवयुवक सेक्स से वंचित है, इसलिए इसके ऐसे विचार हैं। अगर इसको समय पर सेक्स की पूर्ति होने लगे तो फिर इसके मन से यह कुंठा निकल जायेगी। क्योंकि अक्सर यही देखने को मिलता है कि जो लोग सेक्स से वंचित हैं उन्ही के दिमाग में रात-दिन सेक्स घूमता हैं, और उनकी सारी ऊर्जा इसी पर खर्च होती है। लेकिन उन अधेड़ों को क्या कहा जाए? जिस लड़की को वह ऑटो ड्राइवर गाली दे रहा था, वह उसकी बेटी की उम्र की होगी। ऐसी घटनाएं सिर्फ ये तीन नही हैं, हजारों रोज देखने को मिलती हैं।
अग़र रोड पर एक लड़की जा रही है तो मैं यह observe करता हूँ कि इस लड़की को कौन-कौन घूर रहा है। रिजल्ट निकलकर आता है घूरने वालों में 10% लड़के और 90% अधेड़ उम्र के होते हैं।
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