तुम पहले क्यों नहीं आए


किताबें खरीदने के पीछे कई कारण छिपे होते हैं। किसी किताब का नाम हमें अपनी ओर खींच लेता है तो किसी का कवर। किसी किताब का लेखक हमे प्रिय लगता है तो किसी किताब का कॉन्टेंट। लेकिन इस किताब में चारों खूबी हैं। इसका लेखक, कॉन्टेंट, कवर और नाम; सभी बेहतरीन हैं।

पुस्तक में बारह सच्ची कहानियाँ हैं जिनसे बच्चों की दासता और उत्पीड़न के अलग-अलग प्रकारों और विभिन्न इलाक़ों तथा काम-धंधों में होने वाले शोषण के तौर-तरीक़ों को समझा जा सकता है। जैसे; पत्थर व अभ्रक की खदानें, ईंट-भट्ठे, क़ालीन कारख़ाने, सर्कस, खेतिहर मज़दूरी, जबरिया भिखमंगी, बाल विवाह, दुर्व्यापार (ट्रैफ़िकिंग), यौन उत्पीड़न, घरेलू बाल मज़दूरी और नरबलि आदि। हमारे समाज के अँधेरे कोनों पर रोशनी डालती ये कहानियाँ एक तरफ हमें उन खतरों से आगाह करती है जिनसे भारत समेत दुनियाभर में लाखों बच्चे आज भी जूझ रहे हैं। 

आंसू आ जाते हैं उस बच्चे के बारे में पढ़ते हुए जिसे उसके ही मां - बाप उसे नरबलि के लिए एक तांत्रिक को सौंप देते हैं क्योंकि कोई मूर्ख उन्हे यह बता देता है कि यह बच्चा उनके घर के लिए अपशकुनी है। ह्रदय को गहरे तल पर जाकर झकझोरने का काम करता है देवली का कैलाश सत्यार्थी से कहा यह कथन कि “क्यूं रे, तू पहले को नी आयो!” देवली वह लड़की थी जिसके परिवार की पिछली तीन पीढियां एक खदान में गुलामी करते आ रहे थे। देवली ने कभी मीठे का स्वाद तक नही चखा था, ना ही ये पता था कि केला कैसा होता है और इसे कैसे खाते हैं।

यह किताब एक नई दुनिया को आपके सामने लाकर रख देगी जिसे हम जाने अनजाने में नजरंदाज करते आ रहे हैं।

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