वो लड़कियां जो कहीं नहीं दिखती लेकिन जब जगह हैं




आज बात करते हैं उन लड़कियों की, जिन पर किसी कवि ने नही लिखा, जिन्हें किसी मूवी में नही दिखाया गया, जिन पर किसी ने गजल नही लिखी, जिन्हें किसी विज्ञापन में नही दिखाया गया। 

ये वो लड़कियां हैं जो मोटी हैं। जो छोटी हैं। जो काली हैं। जिनके होठ काले हैं या फ़टे हुए हैं। जिनके मुँह से पायरिया की और शरीर से पसीने की बदबू आती है। जिनके दांत पीले और टेढ़े हैं। जिनकी एड़ियां फ़टी होती हैं, नाखूनों के पास से खाल फ़टी होती हैं। जिनकी कांखे गंधाती हैं। ये वो लड़कियां हैं जो पूरा दिन खेत मे काम कर शाम को घर आके खाना बनाती हैं।

इन लड़कियों से भी लड़के प्रेम करते हैं। इनके भी हाथ चूमे जाते हैं। इनके सामने लड़के रोकर अपना दुख हल्का करते हैं। इनकी आंखों में धूल के कण पड़ने पर लड़के फूंक मारते हैं। बीमार पड़ने पर इनकी उल्टियां साफ करते हैं। इनके दूर चले जाने पर इनके कपड़ो को सूंघ लड़के इन्हें बहुत याद करते हैं। इनके लिए लड़के बागी हो जाते हैं, घरवालों से लड़ जाते हैं। बिल्कुल ठीक ऐसे ही जैसे फिल्मी नायिका के लिए एक नायक लड़ जाता है।

फिल्मों, कविताओं, गजलों, विज्ञापनों और इंस्टाग्राम जैसी झूठी दुनिया मे इनका कोई वजूद नही। ये असली दुनिया में पायी जाती हैं।

(प्रतीक्षा पांडे की कविता से प्रेरित)

Comments

Popular posts from this blog

भारतीय पारिवारिक संस्था के गुण व दोष

एक लड़की के लिए इज्जत की परिभाषा

सेक्स के प्रति मानव इतना आकर्षित क्यों और इसका समाधान क्या?