वो लड़कियां जो कहीं नहीं दिखती लेकिन जब जगह हैं
ये वो लड़कियां हैं जो मोटी हैं। जो छोटी हैं। जो काली हैं। जिनके होठ काले हैं या फ़टे हुए हैं। जिनके मुँह से पायरिया की और शरीर से पसीने की बदबू आती है। जिनके दांत पीले और टेढ़े हैं। जिनकी एड़ियां फ़टी होती हैं, नाखूनों के पास से खाल फ़टी होती हैं। जिनकी कांखे गंधाती हैं। ये वो लड़कियां हैं जो पूरा दिन खेत मे काम कर शाम को घर आके खाना बनाती हैं।
इन लड़कियों से भी लड़के प्रेम करते हैं। इनके भी हाथ चूमे जाते हैं। इनके सामने लड़के रोकर अपना दुख हल्का करते हैं। इनकी आंखों में धूल के कण पड़ने पर लड़के फूंक मारते हैं। बीमार पड़ने पर इनकी उल्टियां साफ करते हैं। इनके दूर चले जाने पर इनके कपड़ो को सूंघ लड़के इन्हें बहुत याद करते हैं। इनके लिए लड़के बागी हो जाते हैं, घरवालों से लड़ जाते हैं। बिल्कुल ठीक ऐसे ही जैसे फिल्मी नायिका के लिए एक नायक लड़ जाता है।
फिल्मों, कविताओं, गजलों, विज्ञापनों और इंस्टाग्राम जैसी झूठी दुनिया मे इनका कोई वजूद नही। ये असली दुनिया में पायी जाती हैं।
(प्रतीक्षा पांडे की कविता से प्रेरित)
Comments
Post a Comment
Thank you for comment