प्रतिज्ञा


मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखी गई किताब प्रतिज्ञा का सार तत्व समाज में विधवा महिलाओं की दयनीय स्थिति के इर्द- गिर्द है। इस कहानी के मुख्य पात्र अमृतराय, दाननाथ, प्रेमा, पूर्णा, कमला प्रसाद व उसके पत्नी सावित्री है।

प्रेम की चिकनी चुपड़ी बातें बनाकर लड़कियों को कैसे बेवकूफ बनाया जाता है, यह कमलाप्रसाद के जरिए और लड़कियां बेवकूफ कैसे बनती हैं, यह पूर्णा के जरिए प्रेमचंद ने इस उपन्यास में अच्छे से बताया है।

इस किताब की सबसे शानदार किरदार प्रेमा या पूर्णा नही बल्कि कमलाप्रसाद की पत्नी सावित्री है। अपने पति की कुरीतियों का वह डटकर मुकाबला करती है और समानता के अधिकार की मांग रखती है। कमलाप्रसाद जैसे व्यक्ति का मुकाबला सावित्री जैसी स्त्री ही कर सकती है। 

पूर्णा जैसी औरतों को तो ये समाज निगलने को तैयार बैठा रहता है। वो तो शुक्र है अमृतराय का कि उसने विधवा आश्रम खोल दिया नही तो पूर्णा का जलसमाधि लेना तय था। मैं तो यह पहले से ही सोच कर बैठा था कि ये तो मरनी निश्चित है। लेकिन प्रेमचंद को विधवा आश्रम की उपयोगिता को लेकर समाज में संदेश देना था इसलिए इस उपन्यास का अंत सुखांत रहा।

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