पंचम की यात्रा
सुना है कि पाप धोने के लिए लोग दियागराज जा रहे हैं। तो हम जैसे पापी भी चल दिए अपने कुछ साथियों के साथ। जिन ट्रेन्स से जा रहे हैं उनमें इतनी भीड़ है कि कन्फर्म टिकट वाले चढ़ नहीं पा रहे हैं, जो पहले चढ़ गए, उन्होंने अंदर से गेट लगा लिए हैं ताकि कोई और न चढ़ पाए। बाहर से लोग खिड़की तोड़ रहे हैं, गेट तोड़ रहे हैं, लंबा सा डंडा लेकर अंदर वालों को मार रहे हैं ताकि गेट खुल जाए। लेकिन गेट खुलेगा नहीं।
अंदर वालों की भी स्थिति कुछ खास अच्छी नहीं है। बाथरूम में भी लोग घुसे हुए हैं। कोई अगर बाथरूम जाना चाहे तो भीड़ की वजह से वहां तक नहीं पहुंच पाएगा, इसलिए कुछ लोग जहां हैं वहीं हग और मूत दे रहे हैं। फिर अपने ही हगे के पास खड़े होकर यात्रा कर रहे हैं। यात्रा मंगलमय की जगह दुर्गन्धमय हो गई है।
गाड़ी से जाने वाले जाम में फंसे हुए हैं कई - कई घंटों तक। जहाज से जाने वाले कई गुना महंगा टिकट खरीद रहे हैं। दियाग क्षेत्र में जाकर बहुत पैदल चलना पड़ रहा है। सबको पंचम ही जाना है, बाकी घाट पर नहाने से कम पुण्य मिलता है। ज्यादा पुण्य लेने के लिए सीधे पंचम में नहाना पड़ेगा। जाते वक्त रास्ते में भीड़ के रैले में दबने के कारण मोक्ष प्राप्ति भी हो सकती है। लेकिन अधिकतर लोग मोक्ष नहीं, अभी सिर्फ पुण्य की प्राप्ति ही चाहते हैं।
पंचम आ गया है। जय हो चंगा मैया की। चारों और कीचड़ ही कीचड़ जिसमें लोगों के चप्पल, जूते, कपड़े, और प्लास्टिक का कचरा धंसे हुए हैं। लेकिन इन सबसे चंगा जी मैली नहीं होती हैं। उसका जल पवित्र ही रहता है। इसलिए नहाओ। सच्चा भक्त ऐसी चीजों पर ध्यान नहीं देता है। हर - हर चंगे बोलकर डुबकी लगाई। नहाने के बाद कपड़े धोने लगे ही थे कि एक महिला ने आकर टोक दिया यह सब करना सही नहीं। चंगा जी मैली हो जाएंगी। माने शरीर धो सकते हैं, कपड़े नहीं।
सरकार ने करीब सवा लाख टॉयलेट बनवाए हैं। उन्हें जब use करने का समय आया तो देखा सबकी हालत बेकार है सब मल - मूत्र से अटे हुए हैं। विचार किया गया कि मुख्य क्षेत्र से हट खुले क्षेत्र में निवृत्त हुआ जाए। प्राचीन संस्कृति जिंदाबाद। हमारे पुरखों ने सही नियम बनाए थे कि खुले में करो। जमीन को मल से उर्वर बनाओ। शौचालय तो पश्चिम की देन है। आज अपनी संस्कृति में योगदान देकर अच्छा महसूस हुआ।
जहां हम निवृत्त हो रहे थे, वहीं कुछ ही दूर कुछ लोग प्लास्टिक बिछा आराम कर रहे थे। यही तो है समन्वय की भावना। वहीं नहाओ, वहीं खाओ, वही हगो, वहीं आराम करो। वापसी आते हुए देखा कि भीड़ से बचने के लिए कुछ लोग चंगा जी के ऐसे किनारे पर नहाने लगे जहां बहुत दूर तक दलदल है। उसी दलदल में कुछ महिलाएं फंस गई हैं जिन्हें पुलिस निकाल रही है।
जाने का समय हो गया है, देखते हैं किस ट्रेन के बाथरूम में जगह मिलती है। पिछले पाप सब मिट चुके हैं। अब बारह साल आराम से नए पाप करेंगे और अगले पंचम में फिर डुबकी लगाने आएंगे। जय हो चंगा जी की।🙏
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